शनिवार, 13 मई 2017

माँ का वंदन..डा श्याम गुप्त ...



माँ का वंदन..




फिर आज माँ की याद आई सुबह सुबह |
शीतल पवन सी घर में आयी सुबह सुबह |

वो लोरियां, वो मस्तियाँ, वो खेलना खाना,  
ममता की छाँह की सुरभि छाई सुबह सुबह |

वो चाय दूध नाश्ता जबरन ही खिलाना,  
माँ अन्नपूर्णा सी छवि भाई सुबह सुबह |

परिवार के सब दर्दो-दुःख खुद पर ही उठाये,  
कदमों में ज़न्नत जैसे सिमट आयी सुबह सुबह |

अब श्याम क्या कहें माँ औ ममता की कहानी,
कायनात सारी कर रही वंदन सुबह सुबह ||



2 टिप्‍पणियां:

Shikha kaushik ने कहा…

मां को समर्पित सुंदर रचना हेतु हार्दिक आभार व मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनाओं सहित , " तेरे आँचल में - मदर्स डे की ख़ास ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !