रविवार, 1 दिसंबर 2013

पुरुष हुए शर्मिंदा -लघु कथा


लिफ्ट में घुसते ही बाइस वर्षीय सारा ने देखा लिफ्ट में उसके अलावा केवल उसके पिता की उम्र के एक शख्स लिफ्ट में थे .लिफ्ट चलते ही सारा ने उस व्यक्ति से जितनी दूरी सम्भव थी ...बना ली . सारा के मन में आया -'' पहले जब लिफ्ट में इस उम्र के किसी पुरुष को देख लेती थी तब रिलैक्स हो जाती थी ...चलो घबराने की कोई बात नहीं पर तरुण तेजपाल ने अपनी बेटी की उम्र की लड़की के साथ जो किया उसके बाद से तो सच में किसी भी उम्र के पुरुष पर विश्वास नहीं किया जा सकता है .....!!'' सारा के सोचते सोचते ही लिफ्ट रुक गयी और गेट खुलते ही वो बाहर निकल ली .पीछे-पीछे वे सज्जन भी निकल लिए और उन्होंने सारा को टोककर रोकते हुए कहा -'' सुनो बेटी ! सब पुरुष तरुण तेजपाल जैसे नहीं होते .उसने जो किया उससे मैं भी शर्मिंदा हूँ !'' सारा ने उन सज्जन के चेहरे पर आये दीन भावों को पढ़ते हुए कहा -'' यस आई नो सर '' और ये सोचते हुए वहाँ से आगे बढ़ चली कि '' सच में तरुण तेजपाल ने सभी पुरुषों को शर्मिंदा कर डाला !''
शिखा कौशिक 'नूतन '

4 टिप्‍पणियां:

Kartikey Raj ने कहा…

ऐसे व्यक्ति को तो बहुत ही कठोर से कठोर दण्ड देना चाहिए.........

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

हिन्दी ब्लॉगर शिखा कौशिक जी की लघुकथा ‘पुरूष हुए शर्मिन्दा’ पढ़कर हमें भी एक लघुकथा लिखने की प्रेरणा प्राप्त हुई है जो एक दूसरा पहलू भी सामने लाती है। उसे इसी ब्लॉग पर पेश किया जाएगा। इससे पता चलता है कि हमारे समाज में कितने रंग-बिरंगे व्यक्ति रहते हैं और यह कि न सभी पुरूष एक जैसे हैं और न ही सारी औरतें एक जैसी हो सकती हैं।

डा श्याम गुप्त ने कहा…

क्या बात है शिखा जी.....
----...अगर जमाल जी की भाँति सभी पुरुषों को इस प्रकार कहानियां पढ़ कर सुनकर देखकर ही ज्ञानार्जन व प्रेरणा होजे तो क्या ही अच्छा हो.....

kavita verma ने कहा…

aisi ghatnaye avishvas ko badhava deti hai ...sundar laghukatha ..