शनिवार, 16 नवंबर 2013

विश्वास-लघु कथा

रिया और राहुल को आपस में घुल मिलकर कॉलेज कैंटीन में बातें करते देखकर रॉकी के दिल में आग लग गयी और वो फुंकता हुआ रिया के पास पहुंचा .राहुल के प्रति उपेक्षा दिखाता हुआ रॉकी रिया से मुखातिब होते हुए बोला - '' मुझे रिजेक्ट कर इस मिडिल क्लास के साथ दोस्ती की है तुमने .एक्सप्लेन मी व्हाई ?'' रिया रॉकी की ओर देखते हुए बोली -'' रॉकी महगे गिफ्ट्स देकर किसी का दिल नहीं जीता जाता है .तुम्हे याद है एक समय था जब तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड थे पर तुम्हारी एक आदत ने मुझे तुमसे दूर जाने के लिए मजबूर कर दिया और वो है इंसान को सामान मानने की तुम्हारी गन्दी आदत .एक दिन ऐसे ही राहुल के साथ मुझे बातें करते देखकर राहुल के जाने के बाद एक घंटे तक तुमने मेरा दिमाग खा डाला था जैसे मैं कोई सामान हूँ और राहुल तुमसे छिपकर मुझे उठाकर ले जायेगा ...इतनी असुरक्षा का भाव दो फ्रेंड्स के बीच !.....पर राहुल ने मुझसे कभी तुम्हारे बारे में कुछ नहीं पूछा .यहाँ तक कि ये भी नहीं कि तुम्हारी व् मेरी दोस्ती क्यों टूट गयी क्योंकि उसे मुझ पर विश्वास है कि मैं एक अच्छी फ्रेंड के रूप में उसे कभी धोखा नहीं दूँगी .उसने कभी कोई चुभता हुआ प्रश्न नहीं पूछा ....हम दोनों में आपसी विश्वास है ...हम अच्छे फ्रेंड हैं !'' रॉकी रिया की बाते सुनकर आसमान में देखने लगा और खिसियाता हुआ बोला -'' ऑल राइट ..एन्जॉय योर फ्रेंडशिप !!''
शिखा कौशिक 'नूतन'

2 टिप्‍पणियां:

डा श्याम गुप्त ने कहा…

हूँ, विश्वास ही तो रिश्तों की मूल है ....

vandana gupta ने कहा…

prerak laghukatha