सोमवार, 5 दिसंबर 2011

लिख रहीं हूँ एक ग़ज़ल मैं


लिख रहीं हूँ एक ग़ज़ल मैं ,
आवाज दे अपनी सामने लाऊँगी
तैयार कर धुन उसकी
सबको वो ग़ज़ल सुनाऊंगी
अभी तो लिख रही हूँ फिर
बाद परीक्षा के सुना पाऊँगी
लिख रहीं हूँ एक ग़ज़ल मैं
आवाज़ दे अपनी सामने लाऊँगी
कुछ महकी बात सुनाऊंगी
कुछ हँसाती सी कुछ रुलाती सी
वो ग़ज़ल जल्द ही ले आऊँगी
थोडा इंतज़ार कर लीजिये
फिर तो इसकी धुन मैं
आपके कानों तक पहुंचाऊँगी
बस मैं गुनगुनाती जाऊँगी
लिख रहीं हूँ एक ग़ज़ल मैं
आवाज़ दे अपनी सामने लाऊँगी

तो मिलते हैं परीक्षा के बाद !!!!!!!!
- दीप्ति शर्मा

7 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

बहुत बहुत आभार ||

sangita ने कहा…

प्रेरणा , आपकी गजल का इंतज़ार रहेगा |
आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है

Satish Saxena ने कहा…

बहुत सुंदर रचना ...
शुभकामनायें आपको !

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपका पोस्ट मन को प्रभावित करने में सार्थक रहा । बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट 'राही मासूम रजा' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अच्छी गज़ल है ...

kavita verma ने कहा…

sundar....

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

THE BEAUTY OF A WOMAN"

The beauty of a woman
isn't in the clothes she wears,
the figure that she carries,
or the way she combs her hair.
... The beauty of a woman
must be seen in her eyes,
because that's the doorway to her heart,
the place where love resides.
The beauty of a woman
isn't in a facial mole,
but true beauty in a woman
is reflected by her soul.
It's the caring that she cares to give,
the passion that she shows,
and the beauty of a woman,
with passing years, only grows.

-Maya Angelou